
भारत में 2025 से लागू होने वाला नया संपत्ति कानून देश की भूमि और अचल संपत्ति से जुड़ी प्रणाली को पूरी तरह आधुनिक बनाने जा रहा है। इस कानून का मकसद केवल स्वामित्व और हस्तांतरण की प्रक्रिया को सरल बनाना नहीं है, बल्कि हर स्तर पर पारदर्शिता और तकनीकी सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
नए नियमों के तहत संपत्ति के स्वामित्व की पुष्टि अब आधार लिंकिंग, बायोमेट्रिक सत्यापन और वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे डिजिटल उपायों से होगी, जिससे फर्जी दस्तावेज़ों और कब्जों पर बड़ी हद तक रोक लगेगी।
संपत्ति स्वामित्व में समान अधिकार
इस कानून के तहत बेटियों को पैतृक संपत्ति में पूर्ण और बराबर हिस्सा मिलेगा। इसके अलावा पति-पत्नी के बीच, तथा तलाक की स्थिति में संपत्ति अधिकार स्पष्ट रूप से परिभाषित किए जाएंगे ताकि कानूनी विवाद कम हों। संपत्ति की खरीद-बिक्री और रजिस्ट्री प्रक्रिया अब पूरी तरह ऑनलाइन होगी, जिससे दलालों और भ्रष्टाचार की संभावना घटेगी।
विवाद समाधान होगा और भी तेज़
लंबे समय से चलने वाले संपत्ति विवादों को खत्म करने के लिए सरकार फास्ट ट्रैक कोर्ट सिस्टम लागू करेगी। इन विशेष अदालतों में 6 माह के भीतर निर्णय देने का प्रावधान होगा। साथ ही, ऑनलाइन मध्यस्थता (Online Arbitration) और ई-डिस्प्यूट रिजॉल्यूशन प्रणाली से नागरिक घर बैठे ही अपने विवादों को सुलझा सकेंगे।
अवैध कब्जों पर सख्त कार्रवाई
संपत्ति पर अवैध कब्जे या धोखाधड़ी करने वालों के खिलाफ विशेष कार्रवाई बल (Task Force) का गठन किया जाएगा। अब अवैध कब्जेदारों को कठोर सजा और आर्थिक दंड दोनों का सामना करना पड़ेगा, जिससे जमीन हड़पने जैसी घटनाएँ कम होंगी।
डिजिटल रिकॉर्ड और ब्लॉकचेन सुरक्षा
नए कानून में संपत्ति के डिजिटल रिकॉर्ड को जियो-टैगिंग, ब्लॉकचेन तकनीक और डिजिटल रजिस्टर से सुरक्षित रखने की व्यवस्था की गई है। इससे हर लेन-देन ऑनलाइन ट्रैक हो सकेगा और डेटा में फेरबदल लगभग असंभव हो जाएगा। अब स्टांप ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क का भुगतान भी पूरी तरह डिजिटल माध्यम से होगा।
विरासत और कर प्रणाली में बदलाव
अब विरासत में मिली संपत्ति का पंजीकरण अनिवार्य किया गया है, जिससे कानूनी स्वामित्व स्पष्ट रह सके। साथ ही, डिजिटल वसीयत (E-Will) की सुविधा शुरू की जाएगी, जिससे उत्तराधिकार प्रक्रिया पारदर्शी बनेगी। सरकार ने खाली पड़ी या अनुपयोगी संपत्तियों पर अतिरिक्त कर (Vacant Property Tax) लगाने की भी तैयारी की है, ताकि ऐसे भूखंडों का सही उपयोग हो सके।
किरायेदारी और बीमा प्रावधान
किरायेदारी अनुबंधों को अब पंजीकृत करना अनिवार्य होगा। इसके अलावा, किराया दरों पर संतुलन रखने के लिए सीमा तय की जाएगी। संपत्ति संबंधी जोखिमों को देखते हुए बीमा कंपनियों को अधिक सक्रिय बनाया जाएगा और अनिवार्य संपत्ति बीमा प्रणाली लागू की जाएगी, जिससे मालिकों और किरायेदारों दोनों का हित सुरक्षित रहे।
विदेशी नागरिकों के लिए नए नियम
नए कानून में विदेशी नागरिकों द्वारा भारत में संपत्ति खरीदने पर कुछ प्रतिबंध जारी रहेंगे, लेकिन NRI नागरिकों के लिए विशेष रियायतें रखी गई हैं ताकि प्रवासी भारतीय भारत में निवेश कर सकें और कानूनी सुरक्षा पा सकें। यह नया संपत्ति कानून भारत के रियल एस्टेट प्रबंधन में ऐतिहासिक सुधार के रूप में देखा जा रहा है। इससे न केवल मालिकों के अधिकार सुदृढ़ होंगे, बल्कि डिजिटल युग में सम्पत्ति स्वामित्व और विवाद समाधान की प्रक्रिया भी पहले से अधिक सुरक्षित, पारदर्शी और त्वरित होगी। भारत अब अपने भूमि प्रबंधन तंत्र को 21वीं सदी की तकनीक के साथ जोड़कर एक नए डिजिटल युग में प्रवेश कर रहा है।