राज्य सरकार ने बहुद्देशीय प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (एम-पैक्स) में कर्मचारियों की भारी कमी को दूर करने के लिए अहम फैसला लिया है। सचिव, लेखाकार और चौकीदार के रिक्त पद अब नियमित भर्ती प्रक्रिया के तहत भरे जाएंगे। वहीं कंप्यूटर ऑपरेटरों की भर्ती आउटसोर्सिंग के माध्यम से होगी ताकि समितियों का प्रशासनिक कामकाज सुचारु रहे।

नई भर्ती नियमावली लागू होने की तैयारी
सहकारिता विभाग ने एम-पैक्स में भर्ती प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाने के लिए नई नियमावली तैयार की है। अब तक मंडल स्तर पर संयुक्त आयुक्त सहकारिता के माध्यम से भर्तियां होती थीं, लेकिन अब पहली बार जिला स्तर पर सहायक आयुक्त सहकारिता के माध्यम से करीब 15 हजार पदों की भर्ती की जाएगी। यह बदलाव आवेदन प्रक्रिया को सरल और स्थानीय स्तर पर अधिक प्रभावी बनाएगा।
छह महीने में पूरी होंगी भर्तियाँ
आयुक्त सहकारिता योगेश कुमार की अध्यक्षता में नई नियमावली तैयार की जा रही है। हाल ही में हुई महत्वपूर्ण बैठक में इस पर सहमति मिल चुकी है। सहकारिता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जेपीएस राठौर ने बताया कि नियमावली को जल्द ही अंतिम स्वीकृति दी जाएगी और अगले छह महीनों में सभी पदों पर नियुक्ति पूरी करने का लक्ष्य तय किया गया है।
नियमित और आउटसोर्स पदों की स्पष्ट व्यवस्था
नई नीति के अनुसार सचिव, लेखाकार और चौकीदार के पद नियमित स्थायी आधार पर भरे जाएंगे, जबकि कंप्यूटर ऑपरेटर आउटसोर्सिंग एजेंसियों के माध्यम से रखे जाएंगे। इससे एम-पैक्स के कार्यों में तकनीकी दक्षता और पारदर्शिता बढ़ेगी।
योग्यता और वेतनमान का निर्धारण
नई नियमावली में प्रत्येक पद के लिए योग्यता और वेतनमान भी तय किया जा रहा है। सचिव और लेखाकार के लिए न्यूनतम योग्यता स्नातक रखी जाएगी, जबकि मासिक वेतनमान ₹16,000 से शुरू होने का प्रस्ताव है। इससे योग्य युवाओं को ग्रामीण स्तर पर रोजगार का नया अवसर मिलेगा।
8 हजार पद प्राथमिकता पर
वर्तमान में एम-पैक्स में करीब 5,000 सचिव और 3,000 लेखाकारों के पद लंबे समय से खाली हैं। इन पदों को प्राथमिकता देकर नियमित भर्ती की जाएगी। इसके अलावा प्रत्येक समिति में चौकीदार की नियुक्ति अनिवार्य रूप से की जाएगी ताकि सुरक्षा व्यवस्था भी सुदृढ़ हो सके।
दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की भी होगी नियुक्ति
विभाग अन्य सहायक कार्यों के लिए दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की तैनाती की भी योजना बना रहा है। इससे एम-पैक्स का ढांचा और मजबूत होगा तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए सहकारी समितियों की भूमिका और प्रभावी बनेगी।