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जमीन की रजिस्ट्री से पहले जानें ये 18 नए नियम, छोटी चूक से हो सकता है बड़ा नुकसान

2025 के नए भूमि रजिस्ट्री नियमों के तहत अब पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन हो गई है, जिसमें डिजिटल दस्तावेज़, ई-साइन, आधार-पैन लिंकिंग और यूनिक जमीन आईडी जैसे फीचर्स शामिल हैं। वीडियो रिकॉर्डिंग व सत्यापन से पारदर्शिता बढ़ी है। सही दस्तावेज़ और ऑनलाइन भुगतान के साथ रजिस्ट्री प्रक्रिया आसान और सुरक्षित हो गई है, जिससे धोखाधड़ी के मामले कम होंगे।

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जमीन की रजिस्ट्री से पहले जानें ये 18 नए नियम, छोटी चूक से हो सकता है बड़ा नुकसान

2025 में जमीन की रजिस्ट्री प्रक्रिया में बड़े बदलाव किए गए हैं। सरकार का उद्देश्य अब सिर्फ दस्तावेज़ दर्ज करना नहीं, बल्कि पूरी प्रणाली को डिजिटल और पारदर्शी बनाना है। इन नए नियमों का मकसद नागरिकों को लंबी लाइन, एजेंटों की दलाली और धोखाधड़ी के झंझट से मुक्त करना है। अब आप घर बैठे ही अपनी संपत्ति की रजिस्ट्री (property registration) पूरी कर पाएंगे।

पूरी तरह डिजिटल प्रोसेस

नए नियमों के तहत भूमि की रजिस्ट्री प्रक्रिया अब पूरी तरह ऑनलाइन कर दी गई है। इसका मतलब है कि अब आपको उप-पंजीयक (Sub-Registrar) ऑफिस के बार-बार चक्कर लगाने की जरूरत नहीं है। आप अपने कंप्यूटर या मोबाइल से ही ई-रजिस्ट्री पोर्टल पर जाकर सभी दस्तावेज़ अपलोड कर सकते हैं, ई-सिग्नेचर कर सकते हैं और पूरे रजिस्ट्रेशन की ट्रैकिंग ऑनलाइन कर सकते हैं।

सरकार ने यह कदम भ्रष्टाचार और बिचौलियों की भूमिका को खत्म करने के लिए उठाया है। अब जो नागरिक डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करेंगे, उन्हें न तो एजेंट्स पर निर्भर रहना पड़ेगा, न किसी अतिरिक्त शुल्क का भुगतान करना होगा।

ई-साइन और डिजिटल सर्टिफिकेट

बदलावों के अनुसार, अब सभी दस्तावेज़ों को ई-सिग्नेचर (e-sign) से सत्यापित किया जा सकेगा। रजिस्ट्री प्रमाणपत्र (registration certificate) भी इलेक्ट्रॉनिक तरीके से जारी होंगे। इसका सीधा फायदा यह है कि आपका रिकार्ड कभी खो नहीं सकता, क्योंकि यह सुरक्षित रूप से सरकारी सर्वर पर सेव रहेगा। हर लेनदेन का समय, तिथि और सत्यापन विवरण ब्लॉकचेन तकनीक जैसी संरचना में सुरक्षित रहेगा।

ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम

अब रजिस्ट्री के दौरान स्टाम्प शुल्क (stamp duty) और पंजीकरण शुल्क का भुगतान भी ऑनलाइन किया जा सकेगा। इस सिस्टम से नकद लेनदेन खत्म होगा, जिससे टैक्स पारदर्शिता बढ़ेगी और काले धन के इस्तेमाल में कमी आएगी।

हर ट्रांजैक्शन का डिजिटल रसीद जनरेट होगा जिसे आप अपने रिकॉर्ड के लिए सेव कर सकते हैं। बैंकिंग पार्टनर भी सीधे राजस्व विभाग से लिंक रहेंगे ताकि भुगतान में कोई देरी न हो।

आधार और पैन लिंकिंग अनिवार्य

धोखाधड़ी रोकने के लिए सरकार ने संपत्ति मालिक की पहचान को सीधा आधार कार्ड और पैन कार्ड से लिंक करना अनिवार्य किया है। इसका मतलब यह है कि अब फर्जी नामों, दोहरी बिक्री या बेनामी लेनदेन को आसानी से रोका जा सकेगा।

रजिस्ट्री के समय आपको आधार आधारित बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन भी करना पड़ेगा — इससे यह साबित होगा कि दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करने वाला व्यक्ति वही है जो खुद संपत्ति का मालिक है।

हर जमीन को मिलेगी यूनिक आईडी

अब हर ज़मीन के टुकड़े को यूनिक लैंड पार्सल आइडेंटिफिकेशन नंबर (ULPIN) दिया जाएगा। यह 14 अंकों का एक खास कोड होगा जिसमें जमीन का आकार, सीमाएँ, स्थान और मालिक की जानकारी होगी। इसे “रीयल एस्टेट आधार कार्ड” (land Aadhaar) कहा जा सकता है।

ULPIN से कई फायदे होंगे —

  • संपत्ति सीमा विवादों का समाधान आसान हो जाएगा।
  • खरीदार को साफ-साफ पता रहेगा कि वह कौन सी जमीन खरीद रहा है।
  • डुप्लिकेट दस्तावेज़ या ओवरलैपिंग रजिस्ट्री की संभावना खत्म होगी।

वीडियो रिकॉर्डिंग से पूरी पारदर्शिता

कुछ राज्यों में अब पंजीकरण प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग जरूरी कर दी गई है। यह रिकॉर्डिंग दोनों पक्षों की रजामंदी का सबूत होगी। यदि आगे चलकर कोई पक्ष झूठा दावा करता है कि डील उसकी जानकारी के बिना हुई, तो वीडियो सबूत के रूप में काम आएगा।

आवश्यक दस्तावेज़ों की जांच और वैरिफिकेशन

रजिस्ट्री से पहले अब खरीदार को कुछ दस्तावेजों का सत्यापन अनिवार्य रूप से करना होगा:

  • विक्रय समझौता (Agreement to Sell): इसे अब पंजीकृत कराना जरूरी होगा ताकि दोहरा सौदा न हो।
  • मदर डीड (Mother Deed): यानी संपत्ति के पिछले स्वामियों की पूरी श्रृंखला की जांच करनी होगी।
  • इनकम्ब्रेंस सर्टिफिकेट (Encumbrance Certificate): यह साबित करेगा कि जमीन पर कोई लोन, बकाया या कोर्ट केस लंबित नहीं है।
  • टैक्स रसीदें: संपत्ति पर कोई सरकारी बकाया नहीं होना चाहिए।

नए नियम तोड़ने पर क्या सजा या नुकसान?

अगर कोई व्यक्ति गलत दस्तावेज़, अधूरी जानकारी या बकाया टैक्स के साथ रजिस्ट्री कराने की कोशिश करता है, तो अधिकारी आवेदन को तुरंत अस्वीकृत कर सकते हैं। गलत जानकारी देने पर केस दर्ज हो सकता है और रजिस्ट्री निरस्त की जा सकती है।

ऐसा भी देखा गया है कि पुराने सिस्टम में धोखाधड़ी वाली संपत्ति खरीदने से लोगों को लाखों रुपये का नुकसान हुआ, इसलिए नई व्यवस्था में सत्यापन के हर स्तर को मजबूत किया गया है।

Author
info@neuim2024.in

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