
अब यूपीआई यूज करने वालों के लिए कुछ अहम बदलाव किए गए हैं। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने नए गाइडलाइन्स जारी कर दी हैं, जिनका मकसद डिजिटल पेमेंट्स को और ज्यादा सुरक्षित, स्मार्ट और तेज़ बनाना है। अगर आप रोज़ाना यूपीआई लेन-देन करते हैं, तो यह अपडेट आपके लिए बेहद ज़रूरी है।
निष्क्रिय मोबाइल नंबरों पर बड़ा बदलाव
1 अप्रैल 2025 से जो मोबाइल नंबर 90 दिनों से इस्तेमाल में नहीं हैं, उन्हें स्वतः यूपीआई से अनलिंक कर दिया जाएगा। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि किसी निष्क्रिय नंबर के रीइश्यू होने पर फर्जी ट्रांजैक्शन या मिसयूज़ न हो।
इसलिए अगर आपने मोबाइल नंबर बदला है, तो तुरंत बैंक में जाकर नया नंबर अपडेट करें, वरना भविष्य में यूपीआई एक्सेस बंद हो सकता है।
ऑटोपे ट्रांजैक्शन का नया टाइम
NPCI ने ऑटोपे यानी recurring payments (जैसे EMI, subscription, insurance premium आदि) के लिए टाइम स्लॉट फिक्स कर दिए हैं। अब अगस्त 2025 से ये पेमेंट्स सिर्फ़ नॉन-पीक टाइम में ही प्रोसेस होंगे—
सुबह 10 बजे से पहले, दोपहर 1 से शाम 5 बजे तक और रात 9:30 बजे के बाद।
इससे सिस्टम पर ओवरलोड नहीं होगा और ट्रांजैक्शन जल्दी क्लियर होंगे।
बैलेंस और अकाउंट व्यू पर लिमिट
1 अगस्त 2025 से यूपीआई ऐप्स पर बैंक बैलेंस या लिंक्ड अकाउंट देखने की सीमा तय कर दी गई है।
- बैलेंस चेक सिर्फ़ 50 बार प्रति दिन किया जा सकेगा।
- लिंक्ड बैंक अकाउंट्स को दिन में अधिकतम 25 बार ही देखा जा सकेगा।
यह कदम इसलिए लिया गया है ताकि सिस्टम पर अनावश्यक रिक्वेस्ट्स कम हों और सर्वर की स्पीड बनी रहे।
लेन-देन की बढ़ी हुई लिमिट
15 सितंबर 2025 से पूंजी बाजार और बीमा सेक्टर के लिए UPI लेन-देन की लिमिट बढ़ाकर ₹5 लाख प्रति ट्रांजैक्शन और ₹10 लाख प्रति दिन कर दी गई है।
इसके अलावा सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GeM), ट्रैवल, क्रेडिट कार्ड बिल पेमेंट जैसी अन्य कैटेगरीज में भी लिमिट बढ़ाई गई है। हालांकि, सामान्य P2P ट्रांजैक्शन की सीमा पहले की तरह ₹1 लाख ही रहेगी।
आने वाले उन्नत फीचर्स
UPI में अब जल्द ही फेस और फिंगरप्रिंट ऑथेंटिकेशन फीचर जोड़ा जाएगा। यानी भविष्य में पिन की जगह बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन से भी पेमेंट कर सकेंगे।
साथ ही, पेंडिंग ट्रांजैक्शन का स्टेटस चेक करने की सीमा भी तय की गई है ताकि सिस्टम पर एक्स्ट्रा लोड न पड़े।
क्या होगा यूजर्स पर इसका असर
ये नए नियम आपके लिए सुरक्षा कवच की तरह काम करेंगे। इससे फ्रॉड मामलों में कमी आएगी और ट्रांजैक्शन स्पीड बेहतर होगी। सबसे जरूरी—अपने बैंक खाते से जुड़ा मोबाइल नंबर हमेशा अपडेट रखें, ताकि किसी भी नए नियम का असर आप पर गलत न पड़े।
डिजिटल इंडिया के इस दौर में, UPI अब सिर्फ़ पेमेंट सिस्टम नहीं बल्कि हमारी फाइनेंशियल लाइफ का भरोसेमंद हिस्सा बन चुका है। नए बदलाव इसे और भी मजबूत दिशा में लेकर जा रहे हैं।